मतंगेश्वर महादेव मंदिर के शिव लिंग का रहस्य
मतंगेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश राज्य के छतरपुर जिले के खजुराहो में स्थित है। यह भगवान शिव का मंदिर है मंदिर के अंदर एक विशाल शिव लिंग है। प्रति वर्ष कार्तिक माह की शरद पूर्णिमा के दिन शिवलिंग की लंबाई एक तिल के आकार के बराबर बढ़ती है. चमत्कारिक रूप से शिवलिंग पहले की तुलना में लंबा मिलता है.
यह बढ़ोतरी भगवान शिव के आशीर्वाद का प्रतीक मानी जाती है। यह माना जाता है कि शिवलिंग की यह बढ़ोतरी भक्तों के भक्ति और पूजा के प्रति भगवान शिव की कृपा का परिणाम है। इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि इस बढ़ोतरी का कारण भगवान शिव की आनंद और संतोष से है, जो उनके भक्तों की सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
शिवलिंग के नीचे मणि स्थापित होने की मान्यता
खजुराहो के मतंगेश्वर महादेव मंदिर में विराजमान शिवलिंग के नीचे मणि की मान्यता एक प्राचीन कथा से जुड़ी है। यह कथा महाभारत काल से संबंधित है। इस कथा के अनुसार, भगवान शिव के पास एक मरकत मणि थी जो उन्होंने पांडवों में सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर को दी थी।
युधिष्ठिर ने उस मणि को ग्रहण किया और फिर मतंगऋषि को समर्पित कर दिया। मतंगऋषि ने उस मणि को अपने ध्यान और तपस्या से शिवलिंग के नीचे स्थानीय खजुराहो के इस मंदिर में स्थापित किया। इसके बाद से, लोग मानते हैं कि इस शिवलिंग के नीचे मणि का असर है और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
मतंगेश्वर मंदिर के नाम में 'मतंग' शब्द 'मतंगऋषि' के नाम पर आधारित है। मतंगऋषि ने इस मणि को भगवान शिव के 9 फीट ऊँचे शिवलिंग के नीचे सुरक्षित किया था। भगवान शिव और मणि के प्रताप से इसे एक पावन स्थल माना जाता है, जहां भक्त अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए आते हैं।
मतंगेश्वर मंदिर का इतिहास
खजुराहो के इस मंदिर का निर्माणकाल 950 से 1002 ईसा पूर्व के बीच माना जाता है। यह मंदिर लक्ष्मण मंदिर के पास स्थित है और इसका निर्माण समय के साथ खूबसूरती और धार्मिक महत्व का प्रतीक बन गया है।
मंदिर का आकार अनूठा है, जिसमें 35 फीट का वर्गाकार गर्भगृह है। गर्भगृह चौड़ा है और उसका प्रवेश द्वार पूर्वी दिशा में है। मंदिर अधिक अलंकृत नहीं है, लेकिन इसका शिखर बहुमंजिला है, जिससे वह प्राचीन स्थापत्यकला का उत्कृष्ट उदाहरण बनता है।
इस मंदिर के गर्भगृह में वृहदाकार का शिवलिंग स्थित है, जो 8 फीट 4 इंच ऊँचा है और 3 फीट 8 इंच घेरे वाला है। इस शिवलिंग को 'मृत्युंजय महादेव' के नाम से जाना जाता है, जो भक्तों के मांगी हुई हर मुराद को पूरा करने का संकेत है।
मंदिर के स्तंभ और दीवारों पर कामुक प्रतिमाएँ नहीं हैं, जो इसे अन्य खजुराहो के मंदिरों से अलग बनाती है। इस मंदिर में देवी और देवताओ की प्रतिमाएं कम है।
मतंगेश्वर महादेव मंदिर एक त्रिरथ प्रकृति का मंदिर है, जिसकी छत बहुमंजिली और पिरामिड आकार की है। इसकी कुर्सी इतनी ऊँची है कि अधिष्ठान तक पहुँचने के लिए कई सीढियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यह मंदिर खार-पत्थर से बनाया गया है, और उसके स्तंभों पर सुंदर रथिकाएँ हैं जो इसे और भी आकर्षक बनाती हैं।
शिव रात्रि में मेले का आयोजन
खजुराहो के इस प्रसिद्ध मंदिर में हर साल शिवरात्रि के अवसर पर एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है। मंदिर के पास और उसके आस-पास की सड़कें और गलियों में भी उत्सव की धूमधाम छाई रहती है।
इस मेले का मुख्य ध्येय होता है भगवान शिव के शिवलिंग की पूजा करना और उनकी आराधना करना। शिवरात्रि के दिन मेले में लाखों श्रद्धालु शिव मंदिर आते हैं और अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए भगवान शिव की आराधना करते हैं।